Wednesday 28 August 2019




As per the demand of our visitors we have collected some facts about Maharana Pratap from various websites. These details may or may not be correct but because some of our visitors desperately wanted these facts so, we have collected it for them. So, below are some facts about Maharana Pratap.


Maharana Pratap's Height  :   7ft 5 inches 
Weight of Maharana Pratap's Bhala(  Javelin/Spear )  :   80 Kg 
Weight of Maharana Pratap’s Armor  :    72 Kg 
Weight of Maharana Pratap’s Shoes  :   5 kg shoe each 
Weight of his two swords  :   25 kg each 

नाम - कुँवर प्रताप जी (श्री महाराणा प्रताप सिंह जी)
जन्म - 9 मई, 1540 ई.
जन्म भूमि - कुम्भलगढ़, राजस्थान
पुण्य तिथि - 29 जनवरी, 1597 ई.
पिता - श्री महाराणा उदयसिंह जी
माता - राणी जीवत कँवर जी
राज्य - मेवाड़
शासन काल - 1568-1597ई.
शासन अवधि - 29 वर्ष
वंश - सुर्यवंश
राजवंश - सिसोदिया
राजघराना - राजपूताना
धार्मिक मान्यता - हिंदू धर्म
युद्ध - हल्दीघाटी का युद्ध
राजधानी - उदयपुर
पूर्वाधिकारी - महाराणा उदयसिंह
उत्तराधिकारी - राणा अमर सिंह

अन्य जानकारी -
महाराणा प्रताप सिंह जी के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा था,जिसका नाम 'चेतक' था।

राजपूत शिरोमणि महाराणा प्रतापसिंह उदयपुर,मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे।

वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुटमणि राणा प्रताप का जन्म हुआ।

महाराणा का नाम इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है।

महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत् कॅलण्डर के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है।

महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:-

1. महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।

2. जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आए| तब माँ का जवाब मिला- "उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना " लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था | "बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए 'किताब में आप यह बात पढ़ सकते हैं |

3. महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलोग्राम था और कवच का वजन भी 80 किलोग्राम ही था| कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था।

4. आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं |

5. अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी| लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया |

6. हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की ओर से 85000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए |

7. महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना हुआ है जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है |

8. महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारें बनाईं| इसी समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार कहा जाता है| मैं नमन करता हूँ ऐसे लोगो को |

9. हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई गई। आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला था |

10. .महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा "श्री जैमल मेड़तिया जी" ने दी थी जो 8000 राजपूत वीरों को लेकर 60000 मुसलमानों से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |

11. महाराणा के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |

12. मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे| आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं तो दूसरी तरफ भील |

13. महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया। जहाँ वो घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |

14. राणा का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था उसके मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी की सूंड लगाई जाती थी । यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे|

15. मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था । सोने चांदी और महलो को छोड़कर वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे |

16. महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7'5" थी, दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में।

महाराणा प्रताप के हाथी की कहानी:

मित्रो आप सब ने महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन उनका एक हाथी भी था। जिसका नाम था रामप्रसाद। उसके बारे में आपको कुछ बाते बताता हुँ।

रामप्रसाद हाथी का उल्लेख अल- बदायुनी, जो मुगलों की ओर से हल्दीघाटी के युद्ध में लड़ा था ने अपने एक ग्रन्थ में किया है।

वो लिखता है की जब महाराणा प्रताप पर अकबर ने चढाई की थी तब उसने दो चीजो को ही बंदी बनाने की मांग की थी एक तो खुद महाराणा और दूसरा उनका हाथी रामप्रसाद।

आगे अल बदायुनी लिखता है की वो हाथी इतना समझदार व ताकतवर था की उसने हल्दीघाटी के युद्ध में अकेले ही अकबर के 13 हाथियों को मार गिराया था

वो आगे लिखता है कि उस हाथी को पकड़ने के लिए हमने 7 बड़े हाथियों का एक चक्रव्यूह बनाया और उन पर 14 महावतो को बिठाया तब कहीं जाकर उसे बंदी बना पाये।

अब सुनिए एक भारतीय जानवर की स्वामी भक्ति। उस हाथी को अकबर के समक्ष पेश किया गया जहा अकबर ने उसका नाम पीरप्रसाद रखा। रामप्रसाद को मुगलों ने गन्ने और पानी दिया। पर उस स्वामिभक्त हाथी ने 18 दिन तक मुगलों का न तो दाना खाया और न ही पानी पिया और वो शहीद हो गया।

तब अकबर ने कहा था कि जिसके हाथी को मैं अपने सामने नहीं झुका पाया उस महाराणा प्रताप को क्या झुका पाउँगा। ऐसे ऐसे देशभक्त चेतक व रामप्रसाद जैसे तो यहाँ जानवर थे।

* महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोडा समेत दुश्मन
सैनिको को काट डालते थे



Reference – Bahalol Khan challenged Maharana Pratap 

*जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे भी आ रहे थे तब उन होने उनकी माँ से पूछाकी हिंदुस्तान से क्यों लेकर आपके लिए। …तब माँ का जवाब मिला “उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्टी धूल जहा का राजा अपने प्रजा के पति इतना वफ़ा दार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले आपनी मातृभूमि को चुना ” ….बड किस्मत से उनका वो दौरा रदद्ध हो गया था। “बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘ किताब में ये बात आप पढ़ सकते है। ..



Maharana Pratap Painting
*महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था और
कवच का वजन 80 किलो था और कवच
भाला,कवच,ढाल,और हाथ मे तलवार का वजन मिलाये तो 207 किलो

reference – http://rajputanas.com/rajput-history/facts-about-maharana-pratap/

*आज भी महा राणा प्रताप कि तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रालय में सुरक्षित है

*अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आदा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे पर बादशाहट अकबर कि रहेगी

*हल्दी घाटीकी लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिलथे और अकबर कि और से 85000 सैनिक


Maharana Pratap Battle of Haldighati

*राणाप्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना जो आज हल्दी घटी में सुरक्षित है

*महाराणा ने जब महलो का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगो ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फोज के लिए तलवारे बनायीं इसी समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गड़लिया लोहार कहा जाता है नमन है ऐसे लोगो को



Maharana Pratap Painting
Maharana Pratap  life in haldighati
*हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वह जमीनो में तलवारे पायी गयी। … आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 हल्दी घाटी के में मिला

*महाराणा प्रताप अस्त्र शत्र कि शिक्सा जैमल मेड़तिया ने दी थी जो 8000 राजपूतो को लेकर 60000 से लड़े थे। …. उस युद्ध में 48000 मारे गए थे जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे

*राणा प्रताप के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था



Statue of Maha Rana Pratap udaipur

*राणा का घोडा चेतक भी बहुत ताकत वर था उसके मुह के आगे हाथी कि सूंड लगाई जाती थी



Maharana Pratap and Chetak
*मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में अकबर कि फोज को आपने तीरो से रोंद डाला था वो राणाप्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा जी बिना भेद भाव के उन के साथ रहते थे आज भी मेवाड़ के राज चिन्ह पैर एक तरह राजपूत है तो दूसरी तरह भील

*राणा का घोडा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिआ पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ।उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वो दरिआ पर कर गया। जहा वो घायल हुआ वहाआज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है जहा मारा वह मंदिर । हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे

*मरने से पहले महाराणा ने खोया हुआ 85 % मेवार फिर से जीत लिया था



Bravery of Maharana Pratap
*सोने चांदी और महलो को छोड़ वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमने

*महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो… और लम्बाई – 7’5” थी…..
दो मियां वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में.

*मेवाड़ राजघराने के वारिस को एक लिंग जी भगवन का दीवान माता जाता है।

*छत्रपति शिवाजी भी मूल रूप से मेवाड़ से तलूक रखते थे वीर शिवा जी के पर दादा उदैपुर महा राणा के छोटे भाई थे

*अकबर को अफगान के शेख रहमुर खान ने कहा था अगर तुम राणा प्रताप और जयमल मेड़तिया को मिला दो अपने साथ तोह तुम्हे विश्व विजेता बन्ने से कोई नहीं रोक सकता पर इन दो वीरो ने जीते जी कबि हार नहीं मानी।

*नेपाल का राज परिवार भी चित्तोर से निकला है दोनों में भाई और खून का रिश्ता है

*मेवाड़ राजघराना आज भी दुनियाका सबसे प्राचीन राजघराना है उस के बाद जापान का है

*rana pratap ke purvaj Rana Sanga ne akabar k dada babar se khanwa me yudh lada tha or rana pratap ne akabar se or rana k bete amar singh ne janghir ko sandhi k liye majboor kiya tha or aapne 15 saalo k raaj me pura Mewar apne kabje me le liye tha

*haldighati se 40 KM dur ranakpur k jungel me aaj bhi rana pratap k senapati rana jhala ki chatri bani huyi hai jaha unhe veer gati prapt huyi hai



Painting of Maharana Pratap
Maharana Pratap  in jungle
*rana prtap k saath afgan k teer chalane wale 2000 pathan bhi the jo ladai shuru hone k 2 ghante baad maidan chod gaye the

*mewar ki or se rana pratap ki ek tukdi ki leadership ek saache musalman ne ki thi usko or uske pariwar ko maharana ne muglo se bachaya tha or mewer me panah di thi

*maharana pratap k bete amar singh ne akabar or muglo ki begumo ko malwa k pass se ek jung jeetne k baad kaid kr laye the …iska pata chalte rana ne un auroto ko samman sahit bhijwaya or 3 din vishit ahiti bana kar rakha is per amar singh ko kaafi samjhaya tha

*maharana prtap k saat mewar malwa or godwar k 100 se jayda thakur saat the

* ek waqt aisa bhi aaya tha jab rana pratap k bete amar chote the or jab wo gass ki roti kha rahe the tab ek billa amar singh k haat se wo gass ki roti le bhaga tha iss per geet bhi jo aaj bhi gaya jata hai “hare gass ki roti jad van bilado le bhagyo”

*aadwasi bheel samaj k log rana k maut k baad bhi unhe ghar ghar pujte rahe in kabilo ka sardar hamesha mewar k ranao ka saath deta aaya hai

*haldi ghati me itna khoon baha tha ki waha k nadiyo or jharno ka pani bhi laal ho gaya tha

or aant me sabi ko shukariya yaha tak padhne k liye
wo rana humare liye lada tha sirf or sirf apne desh k liye na rajput k liye na jat k liye na gurjar k liye na brahman k liye or na hi aapne Raj Sinhasan k liye…..

Jai Maharana….
mar kar bhi jo amar ho gaya wo rana wo maha rana


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- See more at: http://rajputanas.com/

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References: 

http://rajputanas.com/rajput-history/facts-about-maharana-pratap/

http://travel.sulekha.com/maharana-pratap-of-mevar_travelogue_559149

http://www.ariseindiaforum.org/glories-of-maharana-pratap-singh/#sthash.3e0r3Byb.dpuf

http://www.ariseindiaforum.org/glories-of-maharana-pratap-singh/

http://www.india-forums.com/forum_posts.asp?TID=1926022
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